Interview: सलमान ने शेयर की दिल की बातें, बोले- रोमांस करना चाहता हूं
मुंबई. सफल फिल्मों की गारंटी बन चुके सलमान खान अपने स्टारडम का जरा भी दम नहीं भरते। उन्हें आम इंसान की तरह व्यवहार करना और वैसे ही रहना पसंद है। फैंस का प्यार पसंद है, लेकिन छूकर जताने वाला लाड़-दुलार उन्हें रास नहीं आता। अपनी पर्सनालिटी, किरदारों से सीखने की ललक, भाई बुलाए जाने जैसे विषयों पर उन्होंने नयनदीप रक्षित से बात की।
>>ऐसा कुछ बचा है, जो करना चाहते हैं?
हां, मैं रोमांस करना चाहता हूं ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन भी।
>>एक चीज़ ऐसी जो लोग सलमान के बारे में नहीं जानते...
सच कहूं तो लोग पीटेंगे मुझे इसके बाद। लेकिन मैं अपनी फिल्म देखते हुए भी सो जाता हूं। मेरी सभी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर मैं सोने लगता हूं। इसका ये मतलब भी है कि मैं दूसरों की फिल्म देखते हुए भी सो जाता हूं।
>>घर और घर के बाहर सलमान खान में क्या अलग है?
जिस तरह मैं अपने परिवार के साथ रहता हूं, वैसा ही बाहर रहता हूं। स्टारडम को अच्छी तरह समझता हूं। लेकिन जो इंसान स्क्रीन पर दिखता है, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मैं वैनिटी के अंदर जाकर नहीं बैठता, मुझे यह पसंद नहीं। बाहर बैठता हूं। फॉर्म (हाउस) में रहता हूं। स्टारडम ने मुझे अब तक नहीं छुआ है और उम्मीद है कि आगे भी ऐसा ही रहेगा।
>>लेकिन कुछ तो आप में बदला ही होगा...
मेरा एक चेहरा एंग्री मैन का भी है, जो लोगों को अपने पास नहीं आने देता। मैं अगर ऐसा नहीं करूंगा तो वो लोग ऐसा करेंगे (मेरे गाल खींचेंगे)। लंबे समय तक मेरे साथ ऐसा हुआ है। बाल बना के आया और तब ही कोई आया, बाल पर हाथ फेरकर बोला- "बेटा आशीर्वाद' (हंसते हैं)। इसके बाद गाल खींचने लगे। मुझे इन सबसे सख्त नफरत है। मैं 50 साल का हो गया हूं, कम से कम लोगों को थोड़ा सम्मान तो करना चाहिए यार! (जोर से हंसते हैं)।
>>परिवार में भाइयों के साथ कोई मतभेद हो तो कैसे सुलझाते हैं?
मैं कुछ नहीं करता। पापा सालों से यह कर रहे हैं। शुक्र है हमारे घर में ऐसी समस्या नहीं हुई। कोई इश्यू उठा, वह वहीं खत्म हो गया। हम लकी हैं।
>>आप तो यूनिवर्सल भाई हैं...
अरे यार, मैं वहीं तो मार खा जाता हूं। सोहेल ने मुझे भाई कहना शुरू किया और सब मुझे यही बुलाने लगे। यंग जनरेशन मुझे सलमान या सलमान खान कहती है। वो मुझे भाई-वाई नहीं बुलाते। ओल्ड जनरेशन के लोग जब भाई कहते हैं तो मुझे लगता है, तुम लोग क्यों भाई बुला रहे हो मुझे? मेरी बहन ने मुझसे कहा, "जो आपको भाई बोलते हैं, यदि आप उनसे मिल रहे प्यार, सम्मान की कद्र नहीं करोगे तो मैं भी आपको भाई नहीं बुलाऊंगी'। तबसे मेरा यही लक्ष्य है कि कभी ऐसी नौबत नहीं आए।
"पहले "भाई' को नकारात्मक रूप में लिया जाता था, लेकिन आज इसका अर्थ है, ऐसा व्यक्ति, जिस पर भरोसा रखो कि वह आपको सही रास्ता दिखाएगा। मेरे लिए इससे अच्छा क्या होगा।"
-सलमान खान, भाई बुलाए जाने के सवाल पर
>>आपने ज्यादातर फिल्मों में लार्जर-देन-लाइफ हीरो के रोल ही निभाए हैं?
कोई किरदार जिसके पीछे अच्छा डायरेक्टर, अच्छा राइटर, अच्छी स्टारकास्ट और शानदार बैकड्रॉप व बैकग्राउंड होगा, वह 70 एमएम की स्क्रीन पर लार्जर-देन-लाइफ ही लगेगा। यही सिनेमा की खूबसूरती है। किरदार अच्छा आदमी हो सकता है, लेकिन वह मूर्ख ही समझा जाता है। वो बोलते हैं ना कि अच्छा बंदा है बेचारा। यह बेचारा शब्द ही हीरो को दया का पात्र बना देता है।
>>आपने इसे बदलने के लिए कुछ किया?
नहीं, लेकिन मैं जैसी फिल्में चुन रहा हूं, उनके किरदार ऐसे हैं, जो मुझे प्रेरित करते हैं। फिल्म पूरी होने के बाद मुझे लगता है कि मैं वह किरदार बन जाऊं। यदि मैं 100% वैसा न बन पाऊं तो उसकी कुछ क्वालिटी तो अपने में ले लेता हूं। फिल्मों में किरदार के रिएक्शन बखूबी लिखे होते हैं, जिन्हें अपनी रियल लाइफ में अपना लें तो आप परफेक्ट विनर हो सकते हैं।
>>क्या इंडस्ट्री में टिकना मुश्किल है?
हमेशा से, हर किसी के साथ ऐसा ही है। लोग बोलते हैं, उसका तो इंडस्ट्री में कोई है, गॉडफादर्स हैं। हमारे तो कोई नहीं है। हमारा कौन-सा गॉडफादर था भाई? शाहरुख खान का कौन था? आमिर खान का गॉडफादर कहां था? आज अक्षय कुमार सुपरस्टार कैसे बना? अजय देवगन फाइट मास्टर के बेटे हैं, मैं राइटर का बेटा हूं, शाहिद कपूर एक कैरेक्टर आर्टिस्ट के बेटे हैं। बड़े सितारों के बच्चे काम नहीं करते।
"हर किसी के लिए यहां टिके रहना मुश्किल है। फैंस तय करते हैं कि वे टिकट खरीदें या नहीं। ये किसी की जागीर नहीं है। जितना मुश्किल होगा, उतना हमारे लिए अच्छा है। हम सिनेमा की क्वालिटी बेहतर बनाएंगे।"
-सलमान खान, इंडस्ट्री में टिके रहने के सवाल पर
Source : Bollywood Bhaskar.
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